दलालों के हाथ में परिवहन विभाग का 'स्टेयरिंग'
बालोतरा (भगाराम पंवार)। जिले के दूसरे सबसे बडे उपखण्ड मुख्यालय बालोतरा में स्थित परिवहन विभाग का कार्यालय दलालों का दरबार बना हुआ है। बिना एजेंटों की सांठगांठ इस कार्यालय में छोटा सा भी कार्य करवा पाना मुमकिन नहीं है। सरकारी दरों के अलावा दलालों के माध्यम से परिवहन संबंधित कार्य करवाने की एवज में यहां नियुक्त परिवहन अधिकारी व परिवहन निरीक्षक प्रतिदिन लाखों रूपए जेब में भर रहे हैं।
परिवहन विभाग के कार्यालय में दलालों के माध्यम से लाईसेंस बनाये जा रहे है। जबकि सरकार ने परिवहन विभाग के कार्यालयों में दलाल प्रथा खत्म करने के सख्त निर्देश दे रखे हैं। यहां पर दुपहिया व चौपहिया वाहन ड्राईविग लाईसेंस बनाने के लिए दलाल सरकारी शुल्क के अलावा अतिरिक्त वसुल रहे है।
यदि कोई लाईसेंस बनाने के लिए सीधा परिवहन अधिकारी के पास चला जाता है तो पहले तो उसे कार्यालय के बाहर बैठे किसी दलाल से मिलने का इशारा किया जाता है फिर भी यदि प्रार्थी नहीं मानता है तो, उसके दस्तावेजों में कमी बताकर महिनों चक्कर कटाये जाते हैं। थक हार कर लाईसेंस बनाने के लिए इस कार्यालय में आने वाले लोगों को दलालों की मदद लेनी ही पडती हैं।
दलालों के माध्यम से बनने वाले ड्राईविंग लाईसेंस और अन्य कार्याे के बदले प्रतिदिन परिवहन अधिकारी अपने कमीशन का हिसाब कर जेब भर रहे है। दलाल के माध्यम से काम नहीं करवाने वाले लोगों के दस्तावेज तक परिवहन में नियुक्त बाबु गायब कर देते है।
विभाग के सरकारी कार्यालयों में प्रतिदिन दलाल ही सभी सरकारी कामकाज निपटाते नजर आते है। दलालों को पूछने पर वो ऐसे जवाब देते है मानों वे खुद ही परिवहन विभाग के कर्मचारी हो। इस कार्यालय में प्रतिदिन लाखों रुपए की आवक होती है। उन लाखों रुपयों को भी एक दलाल बैक में जमा करवाने जाता है। और तो और आपको दुपहिया व हल्के चौपहिया वाहन का लाईसेंस बनाना है तो, उसकी सरकारी रेट है 360 रूपये, वहीं एजेंट उसके 1500 रूपये तक लेते हैं। एक एजेंट ने हमें अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमें अधिकारियों दक्षिणा जो देनी पड़ती है।
परिवहन विभाग के कार्यालय में दलालों के माध्यम से लाईसेंस बनाये जा रहे है। जबकि सरकार ने परिवहन विभाग के कार्यालयों में दलाल प्रथा खत्म करने के सख्त निर्देश दे रखे हैं। यहां पर दुपहिया व चौपहिया वाहन ड्राईविग लाईसेंस बनाने के लिए दलाल सरकारी शुल्क के अलावा अतिरिक्त वसुल रहे है।
यदि कोई लाईसेंस बनाने के लिए सीधा परिवहन अधिकारी के पास चला जाता है तो पहले तो उसे कार्यालय के बाहर बैठे किसी दलाल से मिलने का इशारा किया जाता है फिर भी यदि प्रार्थी नहीं मानता है तो, उसके दस्तावेजों में कमी बताकर महिनों चक्कर कटाये जाते हैं। थक हार कर लाईसेंस बनाने के लिए इस कार्यालय में आने वाले लोगों को दलालों की मदद लेनी ही पडती हैं।
दलालों के माध्यम से बनने वाले ड्राईविंग लाईसेंस और अन्य कार्याे के बदले प्रतिदिन परिवहन अधिकारी अपने कमीशन का हिसाब कर जेब भर रहे है। दलाल के माध्यम से काम नहीं करवाने वाले लोगों के दस्तावेज तक परिवहन में नियुक्त बाबु गायब कर देते है।
विभाग के सरकारी कार्यालयों में प्रतिदिन दलाल ही सभी सरकारी कामकाज निपटाते नजर आते है। दलालों को पूछने पर वो ऐसे जवाब देते है मानों वे खुद ही परिवहन विभाग के कर्मचारी हो। इस कार्यालय में प्रतिदिन लाखों रुपए की आवक होती है। उन लाखों रुपयों को भी एक दलाल बैक में जमा करवाने जाता है। और तो और आपको दुपहिया व हल्के चौपहिया वाहन का लाईसेंस बनाना है तो, उसकी सरकारी रेट है 360 रूपये, वहीं एजेंट उसके 1500 रूपये तक लेते हैं। एक एजेंट ने हमें अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमें अधिकारियों दक्षिणा जो देनी पड़ती है।