ये है आदर्श आचार संहिता की आदर्श पालना?
जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए आचार संहिता लागु होने के बाद एक ओर जहां निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता कि पालना के लिए सरकारी उपलब्धियों के बैनर-पोस्टर्स को ढकने के प्रयास कर कई बसों और कई जगहों पर लगे पोस्टर्स को हटवाया है, वहीं दूसरी ओर राजधानी जयपुर की कॉलोनियों में लगे दरवाजों पर लिखे नामों को भी कलर करवाकर छिपवा दिया है। लेकिन शहर की कई कॉलोनियों पर लगे दरवाजों पर लिखे गई नामों को ढकने अथवा हटाने कि कार्रवाई में भी कौताही बरती जा रही है।
राजस्थान में आगामी चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागु होने के साथ ही सरकारी उपलब्धियों और किसी भी तरह से किसी राजनीतिक दल का प्रचार करने वाले बैनर-पोस्टर्स को हटाने-ढकने कि कार्रवाई भले ही की जा रही हो, लेकिन आदर्श आचार संहिता की आदर्श पालना होती दिखाई नहीं दे रही। शहर की कई कॉलोनियों में स्थानीय विधायक, सांसद अथवा किसी के भी द्वारा लगवाए गए सुरक्षा द्वारों पर लिखवाए गए नामों के ऊपर जहां कलर करके ढकवाना चाहिए वहां उन नामों पर सिर्फ अखबार चिपकाकर इतिश्री की जा रही है।
इतना ही नहीं, इन नामों पर अखबार चिपकाकर इन्हे ढकवाने के कार्य में भी कौताही बरती जा रही है, शहर की कई कॉलोनियां ऐसी भी है जहाँ इन दरवाजों पर लिखे गई नाम को ढकने के लिए नाम मात्र के लिए अखबार चिपकाए गए हैं, वो भी सिर्फ एक तरफ ही। जबकि इन दरवाजों को लगवाने के लिए आर्थिक सहयोग करने वाले के नाम दोनों तरफ लिखे होते हैं।
इन दरवाजों पर लिखे नाम को छिपाने के लिए नाम के ऊपर चिपकाए गए अखबार कही छिपाए गए है और कहीं यूँ ही छोड़ दिए गए हैं। इससे इन कॉलोनियों में रहने वालों और यहाँ से गुजरने वालों में दरवाजों को लगवाने वाले विधायक का प्रचार किया जा रह है। जो, साफ़ तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन ही है।
बहरहाल, ऐसे में क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लागू हुई आदर्श आचार संहिता की आदर्श पालना की जा रही है।
राजस्थान में आगामी चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागु होने के साथ ही सरकारी उपलब्धियों और किसी भी तरह से किसी राजनीतिक दल का प्रचार करने वाले बैनर-पोस्टर्स को हटाने-ढकने कि कार्रवाई भले ही की जा रही हो, लेकिन आदर्श आचार संहिता की आदर्श पालना होती दिखाई नहीं दे रही। शहर की कई कॉलोनियों में स्थानीय विधायक, सांसद अथवा किसी के भी द्वारा लगवाए गए सुरक्षा द्वारों पर लिखवाए गए नामों के ऊपर जहां कलर करके ढकवाना चाहिए वहां उन नामों पर सिर्फ अखबार चिपकाकर इतिश्री की जा रही है।
इतना ही नहीं, इन नामों पर अखबार चिपकाकर इन्हे ढकवाने के कार्य में भी कौताही बरती जा रही है, शहर की कई कॉलोनियां ऐसी भी है जहाँ इन दरवाजों पर लिखे गई नाम को ढकने के लिए नाम मात्र के लिए अखबार चिपकाए गए हैं, वो भी सिर्फ एक तरफ ही। जबकि इन दरवाजों को लगवाने के लिए आर्थिक सहयोग करने वाले के नाम दोनों तरफ लिखे होते हैं।
इन दरवाजों पर लिखे नाम को छिपाने के लिए नाम के ऊपर चिपकाए गए अखबार कही छिपाए गए है और कहीं यूँ ही छोड़ दिए गए हैं। इससे इन कॉलोनियों में रहने वालों और यहाँ से गुजरने वालों में दरवाजों को लगवाने वाले विधायक का प्रचार किया जा रह है। जो, साफ़ तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन ही है।
बहरहाल, ऐसे में क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लागू हुई आदर्श आचार संहिता की आदर्श पालना की जा रही है।