'थोथा चणा बाजे घणा' साबित हो रही है खाद्य सुरक्षा योजना

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बालोतरा (भगाराम पंवार/RN1)। केंद्र सरकार की महत्वकांशी योजना खाद्य सुरक्षा अध्यादेश 2013 का लाभ फिलहाल मिलता नहीं दिख रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा इस बिल को पास कराने के बाद राज्य सरकार ने इसे आनन-फानन में चुनावी मुद्दा बनाने के लिए लागू तो कर दिया लेकिन ये खाद्य सुरक्षा कांग्रेस के लिए आने वाले विधानसभा चुनावों में भारी पड़ सकती है।

शहर के विभिन्न राशन डीलरों के यहां जाकर जब इस खाद्य सुरक्षा अध्यादेश 2013 की हकीकत जानने का प्रयास किया तो माजरा कुछ और ही था। इस योजना के अन्तर्गत चयनित परिवारों को 25 किलों गेहूं, चावल व मोटा अनाज सस्ते दामों पर अक्टूबर माह की 20 तारीख से माह के अंत तक मिलना था तथा इसी महिने से सार्वजनिक तौर पर यह योजना लागू भी होनी थी लेकिन खाद्य सुरक्षा योजना अपने मुकाम पर पहुंचने से पहले हीं हांफ गई।

उल्लेखनीय है कि इस बारे में कई शिकायतें मिलने लगी थी कि खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। राशन डीलर कह रहे है कि गेहूं प्रयाप्त मात्रा में आया हीं नहीं है। हमारी टीम ने जब राशन डीलरों से अनाज व गेहूं नहीं आने का कारण जानना चाहा तो, पता चला की खाद्य सुरक्षा अध्यादेश भोजन की गारंटी योजना के लिए आंवटित कोटा पूरा हीं नहीं था और मात्र 20 प्रतिशत हीं सिर्फ गेहूं एफसीआई गोदाम में आना बताया गया तथा मोटा अनाज व चावल का तो कहीं अता-पता हीं नहीं था। इस कारण राशन डीलरों ने गेहूं एफसीआई गोदाम से उठाया हीं नहीं।

जब राशन डीलरों से ये पूछा की गेहूं तो आया है आपने गेहूं उठाया नहीं तो उनका जवाब था कि गेहूं जो एफसीआई गोदाम में आया है वो पूरें शहर के जितने चयनित परिवार है उसका मात्र 20 प्रतिशत हीं आया है, ऐसे में 20 प्रतिशत गेहूं को हम कैसे उठाएं और इतना हम सप्लाई भी कर दे तो बाकि चयनित परिवार हंगामा खड़ा कर दे, तो हम कहां जाएंगे। इसके अलावा उन्होने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत कूपन का भी प्रावधान है लेकिन ये कूपन भी सरकार की और से कार्डधारकों को उपलब्ध नहीं करवाएं गए है।

जानकारी के अनुसार ये योजना भी शहरवासियों के लिए महज एक छलावा है और आने चुनावी माहौल में सरकार के लिए गए वादें को निभाना चुनौती बन गया है। हमनें इस बारें में कुछ चयनित परिवारों से भी बातचीत की तो उनका कहना था, "थोथा चणा बाजे घणा'। बातें तो कांग्रेस सरकार बड़ी-बड़ी कर रहीं है और पूरे देश में ढ़ोल बजा-बजाकर कहते है कि हमने लोगों को भोजन की गारंटी दे दी, लेकिन कहां है? आपके भोजन की गांरटी हमें तो मिली नहीं, राशन की दुकान पर गए उसने बोला माल आया हीं नहीं है में कहां से आपकों गेहूं लाकर दूं।"

राशन की दुकानों पर चयनित परिवारों के लोग आज चक्कर लगाने को मजबूर है तथा राशन की दुकान से निराश होकर लौट रहा है और सरकार को कोस रहा है कि हमारें साथ इस बार भी मजाक ही किया गया है। चयनित परिवारों ने इस योजना का लाभ दिलाने की मांग करते हुए कहा कि हमारें साथ अगर धोखा हुआ तो हम आने वाले चुनावों में बता देंगे की वादें करना जरूरी है तो उन वादों को निभाना भी जरूरी है।

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