अब सोशल साइट्स पर चुनावी तरकश

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उदयपुर (सतीश शर्मा)। इस बार विधानसभा चुनाव रिक्शों पर देशभक्ति गानों के बीच प्रत्याशी को वोट देकर जीताने की अपील के जुमले और झंडे-बैनर से प्रचार तक सीमित नहीं रहने वाला है। मोबाइल फोन, कम्प्यूटर इंटरनेट और वीडियो सीडी से चुनावी संग्राम में प्रत्याशी आमने-सामने होंगे। गुजरात पेटर्न पर भारतीय जनता पार्टी ने थ्रीडी प्रचार तक की तैयारी विधानसभा स्तर पर शुरू कर दी है।

वहीं कांग्रेस भी तकनीक का उपयोग करने में पीछे नहीं रहने वाली। मोबाइल नम्बर की सूची तैयार सूत्रों के अनुसार मावली विधानसभा सीट से पार्टी की टिकट मिलने से आश्वस्त और टिकट मिले या नहीं फिर भी चुनाव लडऩे की ठान चुके नेताओं ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। इसे लेकर भाजपा के कुछ नेता सोशल साइट और मोबाइल एसएमएस, एमएमएस, वॉइस कॉल के लिए एक कम्पनी से अनुबंध करने की तैयारी में है।

सूत्रों के मुताबिक चुनाव में टिकट की दौड़ में शामिल दावेदारों में से कुछ ने अपनी टीम को चुनावी तैयारी में जुटा दिया है। टीम ने विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश मतदाताओं के मोबाइल नम्बरों की सूची तैयार की है। इन नम्बरों पर एसएमएस, कॉल और वॉइस कॉल के माध्यम से वोटर को लुभाने का प्रयास किया जाएगा। मतदाता सूची बनेगी सहायक पिछले चुनावों में मतदाता सूची में अधिकांश मतदाताओं के मोबाइल नम्बर अंकित नहीं थे।

ऐसे में बूथ स्तर के कार्यकताओं के माध्यम से मोबाइल नम्बर जुटाकर पार्टियों ने एसएमएस के माध्यम से प्रचार का प्रयास किया, परन्तु अधिक लोगों तक पहुंच नहीं बना पाने के चलते इसका खास असर नहीं हुआ। इस बार मतदाताओं के साथ उनके मोबाइल नम्बर की सूचियां भी बनी हुई है।

सम्भावित प्रत्याशी इन सूचियों को जुटाकर कम्प्यूटर में फीड कर रहे है, ताकि चुनाव के दौरान एक साथ सैकड़ों वोटरों तक मैसेज पहुंचाया जा सके। 45 से 75 पैसे तक में अनुबंध सूत्रों की मानें तो मोबाइल पर एसएमएस भेजने की सेवा देने वाली एक कम्पनी के एजेंट सम्भावित प्रत्याशियों के सम्पर्क में है। कम्पनी जिन मोबाइल नम्बरों पर डू नॉट डिस्ट्रब प्रभावी है उन तक भी एसएमएस पहुंचाने का तोड़ होने का दावा रही है।

सिम्पल रूट और डायनोमिक रूट दो तरह की श्रेणी में सेवा उपलब्ध करवा रही है। सिम्पल रूट के मोबाइल नम्बरों पर 45 से 50 पैसे प्रति एसएमएस और डायनोमिक रूट (जिन नम्बरों पर डू नॉट डिस्ट्रब एक्टिव हो) के नम्बर पर 75 से 85 पैसे प्रति एसएमएस का शुल्क निर्धारित करने की बात सामने आई है।

फेसबुक पर चलने लगे तीर : सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर चुनावी तीर चलने शुरू हो गए है। सबसे अधिक युवा वोटर इस बार चुनाव में हिस्सा लेंगे। ऐसे में उन पर निशाना साधते हुए राजनीतिक कार्यकर्ताओं की फौज सक्रिय हो चुकी है। कांग्रेस व भाजपा के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय नेताओं को लेकर रोजाना नई-नई पोस्ट फेसबुक पर आ रही है। पूर्व विधायक, विधानसभा चुनाव की टिकट पाने के लिए सक्रिय नेताओं ने अपने-अपने फेसबुक अकाउंट बनाकर उन्हें नियमित अपडेट करना शुरू कर रखा है।

सरकारी गाड़ी से वोट डालने आएगा मतदाता : चुनाव आयोग प्रदेश के जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षकों के सुझाव को मान लेता है तो इस बार विधानसभा चुनाव में मतदाता सरकारी गाड़ी में वोट डालने मतदान केन्द्र पहुंचेगा। मतदान के दिन प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी गाडिय़ों से मतदान केन्द्र तक लाते है। इस दौरान वह रास्ते में मतदाता को भांति-भांति के प्रलोभन देकर अपने पक्ष में करने का प्रयास भी करते हैं। चुनाव आयोग ने प्रशासन के सुझाव पर मतदाता को प्रभावित करने वाले इस खेल पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी गाड़ी की व्यवस्था पर विचार शुरू किया है।

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ने पिछले दिनों राजधानी में प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों और जिला कलक्टरों के साथ बैठक की थी। इसमें आईपीएस-आईएएस ने आयोग को अवगत कराया कि प्रत्याशी और उनके समर्थक मतदाताओं को लुभाने के लिए मतदान के लिए भारी संख्या में वाहन लगाते है। इन वाहनों से वे मतदाता को मतदान केन्द्र तक लाते हैं। उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए चुनाव डयूटी में तैनात अधिकारी माथापच्ची करते हैं लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिल पाती।

उन्होंने कहा कि यह सीधा-सीधा चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। पुलिस अधीक्षक व कलक्टर ने सुझाव दिया कि कई मतदान केन्द्र 15 से 20 किलोमीटर के फासले पर है। ऐसे केन्द्रों तक वोटर को पहुंचाने के लिए सरकारी वाहन की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि मतदाता को प्रत्याशी किसी तरह से प्रभावित नहीं कर सके।

उदयपुर संभाग की 28 विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कई मतदान केन्द्र है। आयोग ऐसी व्यवस्था कर देता है तो प्रत्याशियों की ओर से लगाए जाने वाले वाहनों पर सख्ती से अंकुश लग सकेगा। बताया गया है कि आयोग ने चुनाव से पहले इस पर निर्णय करने का आश्वासन दिया है। यदि ऐसा होता है तो मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा वहीं लोकतंत्र और अधिक पुष्ट होगा।

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