खबर का असर : 25 बीघा खातेदारी एग्रीमेण्ट में चल रहे खनन कार्य बंद

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बिजौलिया (RN1 संवाददाता)। उपखण्ड के ग्रामदानी गांव काटबड़ा में अनपढ़ दलितों  की जमीनों पर प्रभावशाली खान माफियाओं, खनिज विभाग व ग्रामदानी कारिंदों की मिलीभगत से किए गए खान एग्रीमेण्ट में हुए फजीर्वाड़े के संबंध में ‘राजस्थान न्यूज1’ पर ‘खातेदारी भूमि में एग्रीमेण्ट पर बड़ा खुलासा’ शीर्षक से  समाचार प्रसारित होने के बाद हरकत में आए खनिज विभाग ने नरेश पिता भवानीलाल धाकड़ के नाम पर (क्वारी लाइसेंस नं. 11/2011) 25 बीघा खातेदारी एग्रीमेण्ट में चल रहे खनन कार्य को बंद करवा दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार खनिज-अभियंता गोपाल बच्छ के आदेशानुसार माइनिंग फोरमैन राकेश भारद्वाज ने पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर जाकर वहां चल रहे खनन कार्य को बंद करवाया। खनिज विभाग की इस कार्यवाही से खान माफियाओं में हड़कम्प मचा हुआ है। गौरतलब है कि इस तरह के कई मामले हैं, जिनमे सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए व  नियमों को दरकिनार कर खातेदारी जमीनों मे एग्रीमेण्ट किए गए हैं। इस कार्यवाही को लेकर खान माफिया आशंकित है कि भविष्य में नियम विरूद्ध किए गए अन्य एग्रीमेण्टों पर भी तलवार लटक सकती है।

यह था मामला : अजमेर संभाग के भीलवाड़ा जिले में बिजौलिया उपखण्ड के ग्रामदानी ग्राम काटबड़ा में गरीब दलितों की जमीनों को खान माफियाओं द्वारा हथियाकर व कोड़ियों के भाव में खरीदकर खनिज विभाग व ग्रामदान के पटवारी व सचिव की मिलीभगत से खाने एग्रीमेण्ट करवा ली गई।

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के तहत ‘राजस्थान न्यूज1’ पर खुलासा हुआ था कि इन एग्रीमेण्टों के समीप निकल रही ऐरू नदी को भी सर्वे रिपोर्ट में 45 मीटर दूर दिखा कर एग्रीमेण्ट कर दिया गया  व खननकर्ताओं द्वारा खनन का मलबा नदी में ड़ाल कर इसका स्वरूप नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

वहीं एग्रीमेण्ट के बीच से आराजी नं. 26/1 में गुजर रहे नाले को भी सर्वे रिपोर्ट के नक्शे में गायब कर दिया गया जबकि मूल नक्शे में ऐरू नदी के आराजी नं. 35, 101, 99/1, 96/1 एग्रीमेण्ट से लगते हुए है व नाले की स्थिति भी स्पष्ट दर्शाई गई है। आबादी क्षेत्र से 45 मीटर दूर ही खान एग्रीमेण्ट किए जाने के नियम को भी धता बताते हुए काटबड़ा गांव के एक दम समीप ही खदाने चल रही है, जिससे इनमें होने वाले ब्लास्टिंग से कभी भी जान-माल का नुकसान हो सकता है।

इन एग्रीमेण्टों में जोधपुर हाईकोर्ट के उन आदेशों की भी अनदेखी की गई, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा एक जनहित याचिका पर दिए गए फै सले में ऐरू नदी के बिगड़ते स्वरूप पर चिंता जताते हुए इसके संरक्षण के लिए विशेष आदेश दिए थे।

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